क्या भारत में संयुक्त परिवार एकाकी परिवार में परिवर्तित हो रहे हैं? संयुक्त परिवार को टूटने से कैसे बचाया जा सकता है?

स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास करता है। स्वस्थ शरीर का होना आज के समय में सबसे बड़ा धन है। हमारी जीवन शैली हमें हर तरह से प्रभावित करती है। मानसिक स्वास्थ्य व शारीरिक स्वास्थ्य काफी हद तक हमारी जीवन शैली पर निर्भर करता है। हमारी जीवन शैली को हमारे आसपास का परिवेश प्रभावित करता है। हमारी परिवेश को सुंदर बनाते हैं इस में रहने वाले लोग। इन लोगों के से मिलकर ही परिवार बनता है समाज बनता है देश बनता है।

हमारा समाज आज दो तरह के परिवार से बनता है:

  • संयुक्त परिवार
  • एकल परिवार

संयुक्त परिवार क्या है:

संयुक्त परिवार जहां दादा- दादी , ताया -ताई, चाचा चाची, उनके बच्चे, बुआ सभी मिलकर एक घर में रहते हैं। सब साथ खाते हैं ,साथ रहते हैं अपने सुख-दुख साथ बांटते हैं। संयुक्त परिवार में एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए अपने जीवन को जिया जाता है।

  • संयुक्त परिवार में बच्चे एक दूसरे को बड़े होते हुए देखते हैं। परिवार में यदि कोई सदस्य बीमार हो जाए तो मिलजुल कर बीमार व्यक्ति की देखभाल की जाती है। इससे बीमार व्यक्ति को दवा के साथ-साथ दुआ भी काम आ जाती है और आधी बीमारी तो उसके अपने स्वजनों को अपने करीब देखकर और देखभाल करते हुए मिलने वाले उस स्नेह से भी दूर हो जाती है।

  • संयुक्त परिवार में जीने वाला व्यक्ति का सामाजिक और मानसिक विकास परिवार में ही हो जाता है।

  • बच्चा अपने बड़ों से मिलजुल कर रहना, सुख-दुख बांटना सीखता है। सहनशीलता और संतुष्टि जैसे गुणों का विकास भी संयुक्त परिवार में होता है। आपसी सूझबूझ, एक दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना संयुक्त परिवार की नींव है।

  • संयुक्त परिवार में जीना भी अपने आप में बहुत बड़ी व्यवहार कुशलता को परिचित करवाता है।संयुक्त परिवार में बच्चे बड़ी आसानी से पलते हैं। विशेषकर आजकल नौकरी पेशा लोगों को बच्चों की देखभाल करने के लिए बाहरी व्यक्ति को वेतन देकर रखना पड़ता है ।

  • बाहरी लोगों पर देखभाल की जिम्मेदारी देना और उन पर विश्वास करना नौकरीपेशा लोगों की मजबूरी बन जाती है। परिवार में अगर घर से माता-पिता दोनों नौकरी करते हैं तो उनके बच्चों की देखभाल घर के सदस्य द्वारा की जाती है।
  • इससे बच्चों को विश्वसनीय स्नेह ओर अपनत्व मिलता है जिससे उन बच्चों की अपने परिवारजनों से आत्मीयता जीवन पर्यंत बनी रहती है।

संयुक्त परिवार में पढ़ने वाला बच्चा समाज के लघु रूप को अपने परिवार में ही देख लेता है।बाहर समाज के साथ कैसे सामंजस्य बिठाना है इसके लिए वह परिपक्व होकर निकलता है। संयुक्त परिवार उसे सर्वांगीण विकास की पहली सीढ़ी चढ़ने में सहयोग देता है। संयुक्त परिवार का विघटन, उसका ह्रास एकल परिवार में बदल गया है। एकल परिवार में जीने के लिए आज की नई पीढ़ी रुचि दिखाती है। एकल परिवार में पति पत्नी और उनके बच्चे ही रह जाते हैं।

  • माता-पिता को भी अपने साथ रखने को पसंद नहीं किया जाता है। परिणाम स्वरूप बच्चे अपने दादा -दादी के साथ रहने से वंचित रह जाते हैं। वंचित रह जाते हैं वह उस अनुभव वाली परवरिश से, वंचित रह जाते हैं वह उस अपनत्व से, स्नेह से जो उसे अपने दादा -दादी से मिलना हो या चाचा- चाची,ताया -ताई से या उनके बच्चों से मिलना होता है।

  • आज आधुनिकता व प्रतियोगिता भरी दौर में प्राथमिकताएं बदल गई है। संयुक्त परिवार में समय प्रबंधन बड़ी चुनौती बन जाता है।

  • एकल परिवार में जीवन मूल्य, संवेदनाएं और भावनाएं अलग तरह से बच्चों को दी जाती है। संयुक्त परिवार में जहां बच्चा यह सब परिवार वालों के साथ रह कर सीखता है वंही एकल परिवार कृत्रिम वातावरण बनाकर सिखाया जाता है। एकल परिवार आज के समय की मांग समझी जाने लगी है। बच्चे को प्रतियोगिता व चुनौती के युग में प्रवेश करवाने के लिए उसके व्यक्तित्व विकास पर ध्यान देना जरूरी हो गया है।

  • एकल परिवार हो या संयुक्त परिवार हमें अपने जीवन से संवेदनाएं भावनाएं, स्नेह, ओर अपनत्व जैसे जीवन मूल्यों को स्थान देना चाहिए। आज के इस तनावपूर्ण जीवनशैली में एक दूसरे को समझना और एक दूसरे की आवश्यकता और भावनाओं का सम्मान करना होगा।

भावनाओं व सुख-दुख साझा करने के लिए अपने आसपास ऐसे विश्वास पात्र लोगों का होना जरूरी है जिन से बातचीत करके हमें तसल्ली मिलती हो । वरना आज के दौर में व्यक्ति को भयंकर बीमारियों ने घेर लिया है। कारण है अपनी अभिव्यक्ति करने के लिए उचित स्थान और उचित लोगों का ना होना परिणाम स्वरुप डिप्रेशन, कुंठा जैसी भावनाओं से एक सुखी होने वाला जीवन भी दुख का पर्याय बन जाता है आओ हम सब पर विचार करें।

क्या भारत में संयुक्त परिवार एकाकी परिवार में परिवर्तित हो रहे हैं?

भारत में आधुनिकता के कारण बड़ी तेजी से संयुक्त परिवार एकाकी परिवार में परिवर्तित हो रहे हैं। यह परिवर्तन एक हद तक तो सही है परंतु इस परिवर्तन के बहुत सारी सीमाएं हैं। पिछले दो दशक से भारत में युक्त परिवारों का विघटन बहुत तेजी से हो रहा है इसके बहुत से कारण है जिसके कारण संयुक्त परिवार टूट रहे हैं। संयुक्त परिवार का टूटना या परिवार का टूटना एक बहुत ही गंभीर समस्याएं हैं इस समस्या का हमें समाधान करना होगा।

  • हमारा परिवार हमारा समाज और हम अपने आप बहुत स्वार्थी हो रहे हैं हमें सिर्फ अपने ही स्वार्थ की पड़ी है दूसरों का कोई लेना देना नहीं है लेकिन जिस दिन हम खुद किसी परिस्थिति में या किसी दुविधा में फंसे हुए तो उस दिन हमारा भी कोई साथ नहीं देगा।

  • इसीलिए लोग कुंठा ,डिप्रेशन ,उच्च रक्तचाप और ना जाने कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। पर लेकिन वह इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्हें कुंठा डिप्रेशन उच्च रक्तचाप और अन्य तरह की बीमारियां क्यों हो रही है।

  • इसका मुख्य कारण अपनी भावनाओं अपने इमोशन और अन्य तरह की समस्याओं को दूसरों के साथ साझा न कर पाना। जिसके कारण मनुष्य औद्योगिकरण की चकाचौंध में अपने आप को बर्बाद कर रहा है।

उसे लग रहा है बहुत सोच रहा है कि वह बहुत ज्यादा विकास कर रहा है उसके पास बहुत पैसे हैं बहुत घर है लेकिन उसकी बात को उसकी इमोशन को सुनने वाला कोई नहीं है।क्योंकि वह आधुनिकता की चकाचौंध में अंधा हो गया है। पहले के बुजुर्ग कम से कम गांव में रहकर 80 साल तक जीवन जीते थे। लेकिन आज के समय वही लोग 60 वर्ष तक ही जी पा रहे हैं।

  • इसका मुख्य कारण औद्योगिकरण की चकाचौंध, नगरीकरण, औद्योगिकरण, स्वार्थी स्वभाव का हो जाना केवल अपना और अपने बच्चों के बारे में सोचना।

  • संस्कारों की कमी का होना, अनुशासन की कमी का होना। इसका मुख्य कारण बन गया है।

अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि यदि आपको एक स्वस्थ ,निरोगी और अच्छी लाइफ जीनी है तो हमें ना केवल अपने परिवार वालों के साथ रहना है उनका सम्मान करना है बल्कि अपने आस-पड़ोस अपने समाज और वहां पर रहने वाले हर एक लोग का सम्मान करना होगा, उनकी सहायता करनी होगी तभी हमारा जीवन भी कुंठा रहित और डिप्रेशन रहित होगा।

आधुनिक समय में बिखरते संयुक्त परिवार के कारण :

औद्योगिकरण:

  • औद्योगिकरण की वजह से लोगों का पलायन औद्योगिक क्षेत्रों की ओर हो रहा है। लोग रोजगार की तलाश में Industrial Area की ओर जा रहे हैं जिससे संयुक्त परिवार टूट रहे हैं

आधुनिकता की होड़ और चकाचौंध:

  • गांव में सुविधाओं की बहुत अधिक कमी होती है। गांव में अच्छे स्कूल अच्छे हॉस्पिटल जेम पोर्टल इत्यादि उपलब्ध नहीं होते हैं।
  • इस वजह से लोग आधुनिकता की चकाचौंध के कारण शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं जिससे संयुक्त परिवार टुटते जा हैं।

आपसी परिवारिक क्लेश:

  • आपसी पारिवारिक क्लेश बड़ों का अनचाहा दबाव, यह नहीं करना वह नहीं करना यहां नहीं जाना वहां नहीं जाना। इस प्रकार के फरवरी क्लेश के कारण संयुक्त परिवार टूटने की कगार में पहुंच गए हैं।

बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाने के लिए नगरों की ओर पलायन:

  • आज के माता पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं। गांव में अच्छे स्कूलों की सुविधा नहीं होती है। जिसकी वजह से लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं।

रोजगार की तलाश में पलायन:

  • गांव में रोजगार घरों की कमी होती है जिस वजह से लोगों को शहर की ओर प्लान करना पड़ता है। शहरों में पलायन की वजह से एक परिवार अपने आप ही टूट रहे हैं।

स्वार्थी स्वभाव का हो जाना:

  • आज के समय में लोग बहुत ही स्वार्थी स्वभाव के हो गए हैं। लोग अपने स्वार्थ के कारण इकट्ठे परिवार में नहीं रहना चाहते।वे बस अपने पति पत्नी बच्चों के साथ ही रहना चाहते हैं ताकि उन्हें दूसरे परिवार का खर्चा ना उठाना पड़े।

पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव:

  • पाश्चात्य संस्कृति में परिवार में केवल पति पत्नी और बच्चे ही रहते हैं। वे अपने माता-पिता भाई-बहन चाचा पाया को वोट समझते हैं। पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव हमारी संस्कृति पर पड़ा है जिसकी वजह से हमारे परिवार टूट रहे हैं।

संस्कारों में कमी का होना:

  • के समय में हमारे बच्चे और हमारे परिवारों में संस्कार की बहुत कमी हो गई है। जिसके कारण हम अपने बड़ों का आदर करना भूल गए हैं। और इन्हीं संस्कारों की कमी की वजह से हमारी परिवार होते जा रहे हैं।

सहनशीलता में कमी होना:

  • आज के समय में बुजुर्ग हो या बच्चा किसी में भी सहनशीलता नहीं रही है। हम और हमारा समाज बहुत ही सहनशील हो गया है। हम किसी को सुनना तक नहीं चाहते हैं जिसकी वजह से हमारे परिवार टूट रहे हैं।
  • अनुशासन में कमी होना:

आज के समय में आधुनिकता की चकाचौंध में बहुत अधिक अनुशासनहीनता फैल गई है। बच्चे सुबह समय के सुखी नहीं उड़ते समय पर खाना नहीं खाते बड़ों की बात नहीं मानते। जिसकी वजह से हुए परिवार वालों के साथ इकट्ठा नहीं रह पाते और हमारे साथ परिवार इस वजह से टूटते जा रहे हैं।

संयुक्त परिवार के के महत्व/लाभ

पारस्परिक सहयोग की भावना का विकास:

  • संयुक्त परिवार में बच्चे में पारस्परिक सहयोग की भावना अपने बड़ों को देखकर ही विकसित हो जाती है। वह अपने बड़ों को देखकर ही एक दूसरे की सहायता करते हैं। जिस तरह से वे घरों में अपने परिवार के सदस्य की सहायता करते हैं उसी तरह घर के बाहर समाज के लोगों की सहायता करना सीख जाते हैं।

एक दूसरे की भावनाओं को समझना:

  • संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग और बच्चे एक दूसरे की भावनाओं को समझते हैं और एक दूसरों की भावनाओं की कदर करते हैं। वे संवेगात्मक रूप से एक दूसरे से जुड़े होते हैं। वे दूसरों की खुशी में खुशी और दूसरों के दुख में शामिल हो जाते हैं।

सामाजिक व मानसिक रूप से परिपक्व होना:

  • संयुक्त परिवार में रहने वाले बच्चे सामाजिक व मानसिक रूप से परिपक्व होते हैं। उन्हें पता होता है कि कौन सी परिस्थिति में कौन सी बात करनी है और कहां पर किस तरह का व्यवहार करना है। उन्हें पता होता है कि समाज और परिवार के लोगों के साथ किस तरह से समायोजन बिठाना हैं। और वह बच्चे नपी तुली बात करते हैं जिससे किसी की भावना को ठेस ना पहुंचे।

चरित्र का विकास होना:

  • संयुक्त परिवार में बच्चों के चरित्र का निर्माण स्वयं ही हो जाता है। बच्चे को अच्छा बुरा, इमानदारी सभी गुणों का विकास अपने बड़ों को देखकर हो जाते है। बच्चे में अच्छे बुरे का विकास परिवार में स्वयं ही हो जाता है।

आत्मविश्वास का विकास होना:

  • संयुक्त परिवार में रहने वाला बच्चा आत्मविश्वासी होता है उसे अपने ऊपर विश्वास होता है कि मुझे क्या कब,कैसे और क्या करना है। उसमें यह आत्मविश्वास अपने परिवार के चाचा -चाची दादा -दादी , ताया ताई को देखकर आता है।

आत्मसंतुष्टि की भावना का विकास होना:

  • संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग और बच्चे आत्मसंतुष्टि से भरपूर होते हैं। उनमें किसी भी तरह का डिप्रेशन कुंठा इत्यादि नहीं होता है। क्योंकि संयुक्त परिवार में सभी लोग अपनी भावनाओं को एक दूसरे के साथ बांटते हैं जिससे उनका दुख दर्द तकलीफ ऑटोमेटिक अली कम हो जाता है। इसलिए उनमें हमेशा आत्म संतुष्टि की भावना बनी रहती है।

लोगों के बीच में या समाज में सामंजस्य बिठाना:

  • संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग या बच्चे समाज के बीच में जाकर समाज सेवा बिठाते हैं क्योंकि स्विफ्ट परिवार भी अपने आप में एक समाज का लघु रूप है समाज के स्वरूप में रहते हुए वह अपने परिवार के सदस्यों चाचा चाची दादा-दादी बुआ का याद आई इत्यादि के साथ समायोजन करते हैं।

एक परिपक्व समाज का निर्माण करना:

  • संयुक्त परिवार में रहने वाला बच्चा एक परिपक्व समाज का निर्माण करता है। क्योंकि संयुक्त परिवार में रहने वाले बच्चे के बहुत सारे गुण हैं जैसे आत्मविश्वास ही अच्छा चरित्र वाला सामाजिक और मानसिक रुप से परिपक्व। इन्हीं गुणों की वजह से वह एक अच्छे और परिपक्व समाज की स्थापना करता है।

संयुक्त परिवार की विशेताएं :

  • संयुक्त परिवार की सबसे बड़ी विशेषता है संयुक्त परिवार में परिवार के दादा दादी चाचा चाची का याता युवा और बच्चे सभी एक साथ रहते हैं।

  • संयुक्त परिवार अपने आप में समाज का एक लघु रूप है। इस समाज के लघु रूप में बच्चा बचपन से ही रहना सीख जाता है।

  • संयुक्त परिवार की सबसे बड़ी विशेषता यह भी है कि परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं और एक दूसरे की भावनाओं को समझते हैं।

  • संयुक्त परिवार के सभी सदस्य घर का काम मिलजलकर करते हैं।

  • संयुक्त परिवार के सभी सदस्य अपने सुख-दुख को आपस में बांटते हैं।

  • संयुक्त परिवार में परिवार के छोटे बच्चों को दादा दादी चाचा चाची दया ताई द्वारा बड़ा किया जाता है। यदि उनके माता-पिता कामकाजी हैं तो।

संयुक्त परिवार की क्या कमियाँ :

अनावश्यक परवारिक दबाव।

अदृश्य बेरोजगारी।

कमजोरी की आदत।

प्रतिभा का लोप होना।

अनावश्यक तनाव।

रूढ़िवादी प्रथा का हावी होना।

भविष्य की संभावनाओं का लोप

संयुक्त परिवार के टूटने के क्या परिणाम हुए हैं?

बुजुर्गों में अकेलापन।

चरित्र निर्माण में बाधा

संस्कारों में कमी।

संभावनाओं तक हर परिवार की पहुंच।

प्रतिभा का विकास। रूढ़िवादी प्रथा का समापन।

रोजगार के अवसरों को ढूँढना

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